Virtual Memory in Hindi : आज के समय में Computer का उपयोग हर क्षेत्र में होता है| कई लोग जो पहले computer के बारे में जानते भी नहीं थें वे भी आज computer
का उपयोग कर रहे
फिर भी computer से जुड़े कुछ ऐसे महत्वपूर्ण विषय है जिनके बारे में लोगों को ज्यादा
जानकारी नहीं है|
आज हम computer के एक ऐसे ही विषय के
बारे में जानने जा रहे हैं जो काफी उपयोगी है परन्तु ज्यादातर लोगों को इसके बारे
में पता नहीं हैं|
आज हम Virtual Memory के बारे में बात करेंगे|
कई लोगों ने इसका नाम भी सुना है
परन्तु वे इसके बारे में अच्छे से जानते नहीं हैं, ऐसे लोग भी हमारे इस लेख को पढ़
सकते हैं क्योंकि आज का लेख पढने के बाद आपको virtual memory आसानी से समझ आ जाएगी|
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computer के विद्यार्थियों को भी वर्चुअल मेमोरी के बारे में पढाया जाता है तो ये लेख उनके लिए भी उतना
ही लाभदायक है|
ये विषय थोडा जटिल है परन्तु हमारा
प्रयास यही रहेगा की इस विषय को सरल भाषा में आपको समझाया जाए|
विषय सूची
(toc)
नमस्कार दोस्तों मैं अमन पाठक, Moody
Dost के लेख में आप सभी का स्वागत करता
हूँ|
Virtual Memory क्या है – Virtual Memory in Hindi
अगर हम की बात करें तो इसका अर्थ होता है आभासी
मेमोरी|
अब हम इसके अर्थ से इसे और अच्छे से समझने
की कोशिश करते हैं|
आभासी मेमोरी(स्मृति) – अर्थात एक ऐसी memory जो असलियत में नहीं होती हैं परन्तु computer को
इसके होने का आभास होता है|
चलिए अब इसके concept को समझने की कोशिश करते हैं|
अगर आपने हमारा लेख Ram क्या है पढ़ रखा है तो आप इस बात को अच्छे से जानते होंगे की computer में किसी भी data को process
करने के लिए memory की आवश्यकता पड़ती है जो की हमें राम
उपलब्ध कराती है|
पर कई बार ऐसा होता है की हम कुछ softwares का प्रयोग करते हैं एवं उन्हें हमारे system में
जितनी ram(memory) उपलब्ध है उससे कई ज्यादा
मेमोरी की आवश्यकता होती है|
ऐसी स्थिति में ही virtual memory का concept आता है|
Virtual memory, एक तरह की storage allocation scheme है जिसका उपयोग कर operating system, software का प्रयोग एवं data
को process करने जैसे कार्यों के लिए कंप्यूटर में installed memory(ram) से ज्यादा memory(ram) उपलब्ध करवाता है|
साथ ही OS यूजर एवं कंप्यूटर को ये विश्वास दिलाता है की computer में software को प्रयोग अथवा data को process करने लिए पर्याप्त memory(ram) उपलब्ध है|
ये पढने के बाद आपके मन में एक प्रश्न
जरूर आ रहा होगा की operating system computer में data processing के लिए उपलब्ध memory से ज्यादा memory किस तरह उपलब्ध करवाता है?
इस बात को हम सभी जानते हैं की ये कोई
जादू तो हो नहीं सकता| कहीं न कहीं से तो OS ने memory उपलब्ध करवाई है| चलिए जानते हैं!
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इस कार्य को करने के लिए OS, secondary memory का उपयोग
करता है| OS हमारे computer की secondary memory (Hard Disk या SSD) में कुछ जगह(memory/storage) आरक्षित करता है एवं उस जगह को virtual memory के रूप में उपयोग करता है|
अब शायद आपको virtual memory concept in hindi समझ में आ गया होगा|
Virtual Memory Definiton in Hindi
अब तक हमने virtual memory के बारे में जितना भी जाना है उसके आधार पर
हम इसकी परिभाषा आराम से बना सकते हैं|
और वो कुछ इस प्रकार होगी,
Virtual Memory, operating system के द्वारा उपयोग किया जाने वाला एक storage mechanism है जो computer में उपलब्ध primary memory से ज्यादा memory उपयोगकर्ता
को प्रदान करता है|
ऐसा करने के लिए secondary memory के कुछ हिस्से को उपयोग में लिया जाता है एवं उसके साथ primary memory जैसा व्यव्हार किया जाता है|
Virtual Memory में उपयोगकर्ता उपलब्ध main memory से बड़ी प्रोसस्सेस को भी स्टोर कर सकता है|
Virtual Memory कैसे कार्य करती है
आज के समय में जो नए प्रकार के computers आ रहे हैं उनमे virtual memory का प्रयोग होना एक सामान्य बात हो गयी है|
Virtual memory की कार्य प्रणाली समझने से पहले आपको एक बात समझनी होगी की computer में CPU सिर्फ main memory से data लेकर उसे process कर
सकता है| CPU virtual memory के data को process नहीं कर सकता है|
चलिए संक्षेप में virtual memory की कार्य प्रणाली समझने की कोशिश करते हैं|
Virtual memory कार्य करने के लिए hardware एवं software दोनों का उपयोग करती है|
Computer में चल रही प्रोसस्सेस का
data primary memory(ram) में स्टोर होता है| एवं
जब data को स्टोर करने के लिए memory
में जगह नही रहती है तब os virtual memory का इस्तेमाल करता है|
1. इन सब कार्यों को OS Memory Management Unit की सहायता से
संभालता है|
2. जब primary memory में नयी प्रोसस्सेस का data स्टोर करने की जगह नहीं
होती है तब OS नए data को memory में सीधे स्टोर होने से रोकता है|
3. फिर os main memory में उस data की खोज
करता है जिसे काफी समय से उपयोग नहीं किया गया है|
4. ऐसे data को खोजने के बाद os उस data को virtual memory में शिफ्ट कर देता है|
5. इसके बाद os नए data को ram में स्टोर कर लेता है|
ज्यादातर मामलों में इसी प्रक्रिया का
पालन होता है| परन्तु प्रक्रिया कई बार अलग अलग भी हो सकती है|
Virtual Memory का साइज़ कितना होता है
सभी computers की virtual memory का साइज़ एक
जैसा नहीं होता है| ये आपके computer
की primary memory(ram)पर निर्भर करता है|
अगर सही मायने में कहा जाए तो Virtual memory का साइज़ तय नहीं होता है| हम इसे os की सहायता से घटाया बढाया जा सकता
लेकिन फिर भी हर computer में आपकी रैम के अनुसार virtual memory का साइज़ निकालने का एक तरीका होता है| जिसे आप
उपयोग कर सकते हैं|
चलिए इसके बारे में जानते हैं|
हमें Virtual memory के दो साइज़ निकालने पड़ते हैं जिन्हें Initial Size एवं Maximum Size कहते हैं|
इनके लिए दो फ़ॉर्मूले है|
·
Initial Size ---> 1.5 x Total RAM
·
Maximum Size ---> 3 x Initial Size
उदहारण –
अगर आपके computer में टोटल रैम 4 GB (4096 MB) है तो आपकी virtual memory का initial size 6144 MB (1.5 x 4096) होगा एवं maximum size 18432
MB (3 x 6144) होगा|
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Virtual Memory का साइज़ कैसे बढ़ाएं
जैसा की हमने ऊपर आपको बताया है की आप
computer में virtual memory का साइज़ घटा बढ़ा सकते हैं तो अब हम ये जानेंगे की ये कार्य करते कैसे
हैं|
Virtual memory का साइज़ बढ़ाने से पहले आपको ऊपर वाले formula से
इसका initial और maximum साइज़ निकालना
पड़ेगा|
साइज़ निकालने के बाद,
1. Settings में जाइए|
2. फिर System पर क्लिक कीजिये|
3. इसके बाद About पर क्लिक कीजिये|
4. फिर “Related Settings” के नीचे System Info पर क्लिक कीजिये
5. इसके बाद Advanced System Settings पर क्लिक कीजिए|
6. इसके बाद Advanced Tab में जाइए|
7. फिर Performance के नीचे Settings पर क्लिक कीजिये|
8. इसके बाद Advanced Tab में जाइए|
9. फिर Virtual Memory के नीचे Change बटन पर क्लिक कीजिये
10. फिर Automatically Manage Paging Files Size for all drives option को un-select कीजिये
11. इसके बाद Custom Size को सेलेक्ट कीजिए
12. फिर वहां पर Paging File के लिए Initial और maximum साइज़ डालिए| ध्यान रहे साइज़ MB में डालना है नाकि GB में
13. फिर Set बटन पर क्लिक कीजिये
14.
फिर OK बटन पर क्लिक कीजिए
15. एक बार फिर से OK Button पर क्लिक कीजिये|
16. और अंत में आखिरी बार फिर से OK पर क्लिक कीजिये
17.
इसके बाद अपने Computer को Restart कीजिये|
Virtual Memory के लाभ – Advantages of Virtual Memory in Hindi
·
जब किसी
प्रोग्राम executon के लिए उस प्रोग्राम के सिर्फ एक हिस्से की जरुरत होती है तब virtual memory speed बढ़ाने में
सहायता करती है|
·
यह multiprogramming environment implement करने
में काफी सहायक है|
·
इसकी सहायता से
हम एक ही समय पर कई सारे application को उपयोग
कर सकते हैं|
·
Main memory में ज्यादा process maintain
हो सकती है| जिसके कारण CPU का उपयोग सही से हो पाता है|
·
हर पेज disk पर स्टोर रहता है एवं जरुरत पड़ने पर ही load किया
जाता है एवं उसके बाद हटा दिया जाता है|
·
चूंकि virtual memory primary memory के मुकाबले बड़ी होती है इस वजह से हम बड़े programs
का भी उपयोग आसानी से कर सकते हैं|
Virtual Memory के नुक्सान – Dis-Advantages of Virtual Memory in Hindi
·
Swapping होने के कारण computer काफी slow हो जाता है|
·
Programs को switch करने में काफी समय लगता है|
·
उपयोगकर्ता के
पास उपयोग करने के लिए disk में कम जगह बचती
है|
·
Ram की तरह performance देखने को नहीं मिलती है|
Virtual Memory vs Physical Memory in Hindi
Physical Memory |
Virtual Memory |
ये एक असली memory होती है| |
ये एक logical memory होती है| |
ये virtual memory के मुकाबले तेज
होती है| |
ये physical memory के मुकाबले
धीमी होती है| |
इसमें swapping तकनीक का प्रयोग किया जाता है| |
इसमें paging का उपयोग किया जाता है| |
ये ram के साइज़ पर निर्भर करती है| |
ये hard disk के साइज़ पर निर्भर
करती है| |
Cpu इस memory को सीधे access
कर सकता है| |
Cpu इस memory को direct access नहीं कर सकता है| |
Demand Paging क्या है
अब आप इस सोच में पढ़ गए होंगे की ये Demand Paging क्या है?
ये ज्यादा कुछ नहीं हमने ऊपर जो virtual memory की कार्य प्रणाली जानी है उसी को टेक्निकल
भाषा में demand paging कहते हैं|
बस फर्क इतना है की ऊपर मैंने आपको
सरल भाषा में कार्य प्रणाली समझाई और यहाँ पर विस्तार से बताऊंगा|
चलिए इसे भी विस्तार समझते हैं
सामान्यतः virtual memory को demand paging की सहायता से ही implement किया जाता है|
Demand paging बिलकुल paging की तरह
ही होता है परन्तु इसमें swapping का प्रयोग किया जाता है|
इस system system में सभी processes secondary memory में स्टोर होती हैं और pages को advance load करने की बजाय तभी load
किया जाता है जब CPU द्वारा उनकी demand की जाती है|
Demand Paging की प्रक्रिया में कुछ steps होते हैं|
1. जब CPU किसी ऐसे पेज के
लिए request करता है जो main memory में उपलब्ध ना हो तब एक page fault generate होता जो दर्शाता है की memory को access करने में बाधा आई है|
2. इसके बाद os बाधित process को कुछ देर के लिए रोक देता है| ये ऐसा इसलिए करता
है ताकि बाद में यही प्रक्रिया अच्छे से हो जाए|
3. फिर इसके बाद os उस पेज को logical address(virtual memory) में ढूंढता है|
4. फिर वह पेज logical address space(virtual memory) से physical address space(main memory) में लाता है|
5. इन सब कार्यों को करने के लिए page replacement algorithms की
सहायता ली जाती है|
Page Replacement Algorithms मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं|
i)
FIFO Algorithm
ii) Optional Page Algorithm
iii) LRU Algorithm
इनके ऊपर हम
विस्तार से कभी और चर्चा करेंगे|
6. इसके बाद पेज table इसी अनुसार update हो जाती है|
7. फिर CPU को सिग्नल भेज दिया जाता है की वह प्रोग्राम निष्पादन(Execution) को जारी रखे| और ऊपर जिस process को रोका था वह फिर से चालु हो जाती है|
तो इससे हम ये कह सकते हैं की जब भी पेज fault होता है तो operating system द्वारा इन्ही चरणों का पालन किया जाता है|
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निष्कर्ष – Conclusion – आज हमने क्या सीखा
आज हमने virtual memory को विस्तार से जानने की कोशिश की|
आज के लेख में हमने virtual memory से संबंधित कई बातें जानीं|
आज का विषय थोडा जटिल था परन्तु इस
पूरे लेख को लिखते समय हमारा यही प्रयास रहा है की आपको इस विषय को सरलता से
समझाया जाए|
अगर किसी छात्र को virtual
memory in hindi notes की जरुरत हो तो वह हमारे इस लेख का Print Out निकलवाकर इस लेख को नोट्स के रूप में उपयोग कर
सकते हैं|
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