Fragmentation in Hindi: हम लगातार कंप्यूटर के विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर से संबंधित विभिन्न विषय लेकर आ रहे हैं। उसी श्रंखला में हमारा आज का विषय होने वाला है - Fragmentation in OS (Operating System) in Hindi
जब हम कंप्यूटर का उपयोग कर रहे होते हैं उस समय कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम कई तरह के कार्यों को संभाल रहा होता है उनमें से एक है Fragmentation
नमस्कार दोस्तों! मैं, Aman Pathak आप सभी का Moody Dost में स्वागत करता हूं।
आज के इस लेख में हम फ्रैगमेंटेशन क्या है (ऑपरेटिंग सिस्टम, प्रकार, लाभ/नुकसान) Fragmentation (Operating System, Types, Advantages/Disadvantages) in Hindi के बारे में बात करेंगे।
कंप्यूटर में फ्रैगमेंटेशन का उपयोग memory management के लिए किया जाता है।
फ्रैगमेंटेशन क्या है (Fragmentation in Hindi)
Fragmentation in Hindi (Operating System) : हम सभी इस बात को जानते हैं की कंप्यूटर बिना मेमोरी एवं स्टोरेज के नही चल सकता है। डाटा को मेमोरी/स्टोरेज में हम संग्रहित करते हैं एवं उसके बाद उसके साथ कार्य करते हैं। कंप्यूटर मेमोरी के बारे में हम पहले ही एक लेख में विस्तार से बात कर चुके हैं। आप हमारा वह लेख पढ़ सकते हैं।
आप ये सोच रहे होंगे की हम लोग मेमोरी के बारे में क्यों बात कर रहे हैं। इसके पीछे एक कारण हैं क्योंकि फ्रैगमेंटेशन सीधे तौर पर मेमोरी से जुड़ी होती है इसलिए हमें पहले मेमोरी को भी समझना आवश्यक है।
चलिए अब मेमोरी को समझने के बाद फ्रैगमेंटेशन को समझने का प्रयास करते हैं।
जब भी हम कंप्यूटर में कोई डाटा अथवा प्रोसेस लोड करते हैं तब उसे मेमोरी के अंदर कुछ स्पेस अलॉट की जाती है जिन्हे हम मेमोरी ब्लॉक्स के नाम से भी जानते हैं। इनके अंदर डाटा स्टोर होता है।
किसी भी प्रोसेस को जो मेमोरी ब्लॉक्स अलॉट किए जाते हैं वह एक single जगह पर उपलब्ध मेमोरी ब्लॉक्स होते हैं। इसका मतलब है की कई जगहों से खाली मेमोरी को इक्कठा करके एक ब्लॉक के रूप में उपयोग नही किया जाता है। एक मेमोरी ब्लॉक तभी बन सकता है जब किसी एक स्थान पर प्रोसेस की आवश्यकता अनुसार मेमोरी खाली हो।
अभी हमने जो पढ़ा है इसे तकनीकी भाषा में contiguous memory कहते हैं। एवं हमारा ऑपरेटिंग सिस्टम डाटा एवं प्रोसेसेस को contiguous memory में ब्लॉक्स अलॉट करता है।
ये मेमोरी ब्लॉक्स दो तरीकों से अलॉट किए जाते हैं।
पहला है Fixed Partitioning इस तकनीक के अंदर प्रोसेस को मेमोरी में लोड करने से पहले ही उस प्रोसेस के लिए एक fixed size का मेमोरी ब्लॉक अलॉट कर दिया जाता है।
दूसरा है Dynamic Partitioning इस तकनीक में प्रोसेस जब चल(run हो) रही होती है तो उसकी आवश्यकता अनुसार ही मेमोरी ब्लॉक्स अलॉट किए जाते हैं।
एवं जब हम प्रोसेस को बंद कर देते हैं तो वो मेमोरी ब्लॉक्स खाली हो जाते हैं।
हम जब कई बार मेमोरी में विभिन्न प्रोसेसेस को लोड करके उन्हें हटाते हैं तो इससे एक समस्या उत्पन्न होती है जिसमें बचे हुए मेमोरी ब्लॉक्स छोटे छोटे भागों में विभाजित हो जाते हैं। ये भाग इतने छोटे होते हैं की इनमे कोई और प्रोसेस अथवा डाटा लोड नही हो सकता जिसके कारण हम इस मेमोरी का उपयोग नहीं कर पाते हैं।
बची हुई इस खाली मेमोरी को उपयोग न कर पाने की समस्या को ही हम फ्रैगमेंटेशन(Fragmentation) के नाम से जानते हैं।
इसे अगर हम आसान शब्दों में कहें तो मेमोरी अथवा स्टोरेज के कई सारे छोटे छोटे भाग(टुकड़े) होना जिनका हम उपयोग नहीं कर सकते।
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अगर हम fragmentation के definition के बारे में बात करें तो,
Fragmentation Meaning/Definition in Hindi
फ्रैगमेंटेशन एक ऐसी समस्या है जिसमें मेमोरी ब्लॉक्स का साइज छोटा होने के कारण उन्हें किसी प्रोसेस को अलॉट नही किया जाता है, जिससे वे ब्लॉक्स unused रहते हैं। जिस कारण से मेमोरी उपलब्ध होने के बाद भी हम उसका पूर्णतः उपयोग नहीं कर पाते। इस समस्या का कारण मेमोरी के अंदर बार बार प्रोसेस को लोड करना एवं उन्हें हटाना होता है।
Fragmentation की अगर एक सटीक अर्थ के बारे में बात करें तो इसका मतलब विखंडन होता है।
अगर हम फ्रेजमेंटेशन के बारे में और बात करें तो ये बस यहीं तक सीमित नहीं है इसके कुछ प्रकार भी होते हैं।
मुख्य रूप से फ्रैगमेंटेशन के दो प्रकार देखने को मिलते हैं जिनके बारे मे हम आगे बात करेंगे।
फ्रैगमेंटेशन के प्रकार (Types of Fragmentation)
हमने ऊपर फ्रैगमेंटेशन क्या है जान लिया है अब हम इसके प्रकार जानेंगे।
हमने अभी जो ऊपर Memory Allocation के तरीके जाने हैं उनसे हमें इसके प्रकारों को समझने में काफी सहायता मिलेगी।
फ्रैगमेंटेशन के मुख्य दो प्रकार होते हैं जिनके बारे में भी आज हम जानेंगे।
- Internal Fragmentation
- External Fragmentation
Internal Fragmentation in Hindi
Internal Fragmentation in Hindi: जब फिक्स्ड पार्टिशनिंग के द्वारा मेमोरी ब्लॉक्स अलॉट किए जाते हैं तब इंटरनल फ्रैगमेंटेशन होती है।
अगर किसी प्रोसेस का साइज उसे एलोटेड फिक्स्ड मेमोरी ब्लॉक से छोटा होता है तो उस ब्लॉक में कुछ मेमोरी शेष बच जाती है। चूंकि ये मेमोरी उसी ब्लॉक में रहती है इस वजह से हम इसका प्रयोग किसी दूसरी प्रोसेस के लिए भी नही कर सकते।
इस वजह से ये मेमोरी अनुपयोगी रहती है एवं बर्बाद हो जाती है। इसी समस्या को हम इंटरनल फ्रागमेंटेशन के नाम से जानते हैं।
जैसे 4 MB की प्रोसेस को 5 MB का ब्लॉक अलॉट किया जाए तो 1 MB ब्लॉक में शेष रहेगी।
चलिए इसे एक उदाहरण की सहायता से समझते हैं।
कंप्यूटर में टोटल 100 KB मेमोरी है। दो प्रोसेसेस हैं जिनका नाम एवं साइज है - P1 (30 KB) एवं P2 (40 KB)। इन दोनों को ऑपरेटिंग सिस्टम ने दो 50-50 KB के फिक्स्ड मेमोरी ब्लॉक अलॉट किए हैं। अब जिस ब्लॉक में P1 है उसमें 20KB मैमोरी एवं P2 के ब्लॉक में 10 KB मेमोरी बच गई है।
ये जो मेमोरी शेष बच गई है। हम इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं एवं इस वजह से ये मेमोरी व्यर्थ हो जाती है।
अब एक नई प्रोसेस P3(30KB) आती है तो इसके लिए जगह नहीं बची है। अगर गणित के हिसाब से देखा जाए तो जगह है लेकिन OS पहले ही 2 ब्लॉक अलॉट कर चुका है जिस कारण अब और जगह शेष नही है।
इस स्थिति में हम साफ देख सकते हैं की मेमोरी खाली होने के बाद भी हम उसका उपयोग नही कर पा रहे हैं। इसकी वजह है की आवश्यकता से अधिक मेमोरी अलॉट की गई है।
अगर इसे हम एक सामान्य जीवन के उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं तो हमारे पास Notebook का उदाहरण है। सभी page एक साइज के होते हैं।
अगर हम कुछ ऐसा लिखते हैं जो पन्ने के मुकाबले काफी छोटा है तो हमारे पास page में काफी जगह बच जाती है। हम इस जगह को ऐसे ही खाली छोड़ देते हैं एवं ये जगह बरबाद हो जाती है।
Internal Fragmentation का समाधान
अगर हम इस प्रकार की फ्रैगमेंटेशन के समाधान की बात करें तो हमें पहले समस्या को समझना होगा। ये समस्या आती है मेमोरी ब्लॉक्स के फिक्स्ड साइज होने के कारण। तो इस समस्या का समाधान हम मेमोरी ब्लॉक्स के साइज को डायनेमिकली निर्धारित कर के कर सकते हैं। डायनेमिक पार्टिशनिंग से उतनी ही मेमोरी प्रोसेस को अलॉट की जाएगी जितने की उसे जरूरत है।
तो हम ये कह सकते हैं की Internal Fragmentation का समाधान Dynamic Partitioning से हो सकता है।
External Fragmentation in Hindi
External Fragmentation in Hindi: जब डायनामिक पार्टिशनिंग के द्वारा मेमोरी ब्लॉक्स अलॉट किए जाते हैं तब एक्सटर्नल फ्रैगमेंटेशन होती है।
फिक्स्ड पार्टिशनिंग से उत्पन्न समस्या का समाधान करने के लिए डायनामिक पार्टिशनिंग का उपयोग किया जाता है। परंतु इससे एक नई समस्या उत्पन्न होती है।
इस तकनीक में ऑपरेटिंग सिस्टम प्रोसेस की आवश्यकतानुसार उसके लिए मेमोरी ब्लॉक बनाता है।
ऐसे में कई बार ऑपरेटिंग सिस्टम मेमोरी ब्लॉक्स अलॉट करते समय बीच में कुछ ब्लॉक्स(मेमोरी) अनुपयोगी एवं खाली छोड़ देता है।
ये मेमोरी ब्लॉक्स non contiguous होते हैं।
चूंकि os (ऑपरेटिंग सिस्टम) हमेशा contiguous memory में प्रोसेस स्टोर करता है इस वजह से os इन मेमोरी ब्लॉक्स का उपयोग नही करता है एवं ये मेमोरी व्यर्थ जाती है।
इसी समस्या को हम सभी एक्सटर्नल फ्रैगमेंटेशन के नाम से जानते हैं। इस समस्या में मेमोरी उपलब्ध होते हुए भी हम उसे उपयोग नहीं कर पाते हैं क्योंकि वह non contiguous होती है। अगर ये समस्या कंप्यूटर में ज्यादा हो जाए तो हमारी काफी स्टोरेज व्यर्थ चली जाती है।
चलिए इसे एक उदाहरण की मदद से समझने का प्रयास करते हैं।
कंप्यूटर में टोटल मेमोरी 100 KB है। अब इस में कुल 5 ब्लॉक हैं।
खाली (20 KB)
P1 (30 KB)
खाली (30 KB)
P2 (10 KB)
खाली (10 KB)
इसमें हम देख सकते हैं की दो मेमोरी ब्लॉक्स डायनेमिकली रूप से पहले ही निर्धारित है। एवं तीन अलग अलग साइज के ब्लॉक्स खाली है परंतु ये एक साथ नहीं है जो की सबसे बड़ी समस्या है।
अब एक नई प्रोसेस को 50 KB के मेमोरी ब्लॉक को आवश्यकता है। परंतु os मेमोरी उपलब्ध होते हुए भी ऐसा करने में असमर्थ है। इसका कारण है की जो ब्लॉक्स खाली है वे सभी अलग अलग(non contiguous) है।
External Fragmentation का समाधान
अभी तक हमने समस्या को जितना समझा है उससे हमें पता चलता है की हमारे पास मेमोरी तो उपलब्ध है परंतु वह कई टुकड़ों में है। अगर तकनीकी भाषा में कहा जाए तो non contiguous है।
इसका समाधान है की उन सब टुकड़ों को इक्कठा कर एक बड़ा मेमोरी ब्लॉक बनाया जाए। इस कार्य में Compaction नाम की तकनीक हमारी सहायता करती है।
फ्रैगमेंटेशन के लाभ/नुकसान
Fragmentation के लाभ
तेज डाटा राइट्स - डाटा को दुबारा ऑर्गेनाइज करने के मुकाबले ऐसे सिस्टम जो फ्रैगमेंटेशन को सपोर्ट करते हैं, उनमें data तेजी से write होता है।
कम असफलता - ऐसे सिस्टम जो फ्रैगमेंटेशन को सपोर्ट नहीं करते हैं उनमें अगर क्रमबद्ध स्टोरेज की कमी हो तो डाटा राइट करने में असफलताएं ज्यादा देखने को मिलती है।
स्टोरेज ऑप्टिमाइजेशन - एक फ्रैगमेंटेड सिस्टम सभी मेमोरी ब्लॉक्स का उपयोग करके स्टोरेज का बेहतर उपयोग कर सकता है।
Fragmentation के नुकसान
Defragmentation की आवश्यकता - फ्रैगमेंटेड सिस्टम की कार्य क्षमता समय के साथ घटती जाती है। इस वजह से सिस्टम को समय समय पर defragmentation की आवश्यकता होती है। यह प्रोसेस काफी समय लेती है।
धीमी पढ़ने की गति - फ्रैगमेंटेड सिस्टम में डाटा एक क्रम में ना होकर अलग अलग होता है इस वजह से data read करने में काफी समय लगता है।
निष्कर्ष - Fragmentation in Hindi
मुझे उम्मीद हैं की आपने ये पूरी पोस्ट पढ़ी होगी एवं आपको फ्रैगमेंटेशन समझ में आई होगी। Fragmentation in os कंप्यूटर में एक बड़ी समस्या है जिसके बारे में हमें ज़रूर जानना चाहिए।
आज की इस पोस्ट में हमने फ्रैगमेंटेशन क्या है, इसके प्रकार एवं लाभ नुकसान के बारे में जाना। हमने internal एवं external fragmentation in hindi दोनों को विस्तार से एवं उनके समाधान सहित जाना।
अगर अभी भी आपको Fragmentation in Hindi से संबंधित कोई प्रश्न है तो आप कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।
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